राहुल गांधी हैं ‘झूठों के सरदार’: संबित पात्रा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘झूठों का सरदार’ बताते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री के लिए जिस तरह की अशोभनीय भाषा का वह इस्तेमाल करते हैं, उससे ज्यादा उनसे अपेक्षा की भी नहीं जा सकती।

भाजपा मुख्यालय में गुरुवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि आरएसएस का प्रधानमंत्री भारत से झूठ बोलता है। राहुल गांधी से अच्छी भाषा की अपेक्षा करना ये बहुत ज़्यादा अपेक्षा करने जैसा है। उन्होंने कहा कि ये कहना अतिशोक्ति नहीं होगी की हम राहुल गांधी को ‘झूठों का सरदार’ कहें। क्योंकि राहुल गांधी को राफ़ेल के मामले में क्षमा मांगनी पड़ी थी क्योंकि उन्होंने झूठ बोला था।

पात्रा ने कहा  कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि ऐसा कोई डिटेंशन कैंप नहीं है, जिसमें एनआरसी के बाद हिंदुस्तान के मुसलमानों को रखा जाएगा। ये झूठ फैलाया जा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री जी ने क्या झूठ बोला है। उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2011 की प्रेस विज्ञाप्ति  में खुद राहुल गांधी की सरकार ने माना है की उन्होंने असम में तीन डिटेंशन सेंटर बनवाए थे । 13 दिसम्बर 2011 को केंद्र सरकार के एक प्रेस रिलीज में कहा गया था कि तीन डिटेंशन कैंप असम में खोले गये हैं और 362 लोग इन सेंटर में रख गए हैं। 2011 में केंद्र में कांग्रेस सरकार थी।

20 अक्टूबर 2012 को असम की कांग्रेस सरकार ने श्वेत पत्र जारी किया था। इसमें पेज 38 में लिखा है कि केंद्र सरकार ने असम सरकार को यह निर्देश दिया है कि आप डिटेंशन सेंटर सेट कीजिए। गुवाहटी हाईकोर्ट में हुए एक केस के अनुसार कोर्ट ने माना है कि 2009 में जो पत्रक उस समय के गृह मंत्रालय ने जारी किया था, उसके अंदर डिटेंशन सेंटर और उसमें लोगों को रखने के नियम हैं। कोर्ट स्पष्ट कहती है कि ये सब तब के गृह मंत्रालय के अनुसार हुआ था।पात्रा ने कहा कि वह ‘झूठों के सरदार’ से पूछना चाहते हैं कि  क्या आज आप देश से फिर माफी मागेंगे ।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा  किसी भी विषय पर राहुल गांधी का कोई ज्ञान नहीं है और हर विषय पर टांग अड़ाना है। इनका मक़सद न नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का है और न ही नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआऱ) का है । इनका मकसद एक है कि ये चाय वाला कैसे प्रधानमंत्री बन गया, जबकि प्रधानमंत्री तो प्रथम परिवार के व्यक्ति को ही बनना था।

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